यमन में पाँचवी बार मौत की सज़ा सुनने वाली भारतीय नर्स नीमिषा प्रिया की फाँसी एक दिन पहले स्थगित कर दी गई है। इस लेख में जानिए इस फैसले के पीछे की राजनीतिक, धार्मिक और कूटनीतिक कोशिशें, $1 मिलियन की रक़म और अब क्या कदम उठाए जाएंगे।
Contents
🕊️ 1. क्या हुआ: फाँसी क्यों टली?📜 2. कौन-कौन रहा पीछे प्रयासों में?🇮🇳 भारत सरकार☪️ धार्मिक हस्तक्षेप👥 समन्वयक एवं सोशल वर्कर🤝 राजनीतिक दबाव💰 3. “Blood‑money” की पेशकश🔍 4. नीमिषा प्रिया का केस: संक्षिप्त समीक्षा⚖️ 5. अभी आगे क्या हो सकता है?⏳ 6. क्यों है इस देरी में अहमियत?🌍 7. इसका अंतरराष्ट्रीय महत्त्व
🕊️ 1. क्या हुआ: फाँसी क्यों टली?
- यमन की सेंट्रल जेल, सना में कैद नर्स नीमिषा प्रिया की फाँसी 16 जुलाई 2025 को होना तय थी, लेकिन 15 जुलाई को उसे स्थगित कर दिया गया।
- स्थगन का आदेश यमन की अभियोजन कार्यालय और डेप्युटी अटॉर्नी जनरल ने दिया, ताकि “और समय मिल सके” ।
📜 2. कौन-कौन रहा पीछे प्रयासों में?
🇮🇳 भारत सरकार
- विदेश मंत्रालय ने जेल, अभियोजन और हूती नियंत्रित प्रशासन के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा ।
- अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरामणि ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारतीय आवाज़ उठाई गई, लेकिन यमन में हालात बहुत संवेदनशील हैं1।
☪️ धार्मिक हस्तक्षेप
- भारत के ग्रैंड मुफ़्ती कंठपुरम ए॰पी॰ अबूबकर मुसलिअर और सूफ़ी क्लर्क शेख हबीब उमर बिन हफ़िज़ ने यमन में हूती ओर धार्मिक नेता से बात की ।
👥 समन्वयक एवं सोशल वर्कर
- यमन में कार्यकर्ता सैम्युल जेरोम बास्करन (Samuel Jerome Baskaran) न्यायिक अधिकारियों और राष्ट्रपति कार्यालय के साथ मामले को दिल से संभाले।
🤝 राजनीतिक दबाव
- केरल मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन, कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और कई अन्य नेता पीएम, विदेश मंत्री से लिखित समर्थन और हस्तक्षेप की अपील करते रहे ।
💰 3. “Blood‑money” की पेशकश
- यमन की क़ानूनी व्यवस्था (शरियत क़ानून) के मुताबिक़, पीड़ित परिवार की मर्जी से ही फाँसी टली जा सकती है; उसे दिय्याह (ख़ून-ख़र्च) चुकानी होती है ।
- $1 मिलियन (₹ 8.5 करोड़) की पेशकश की गई, लेकिन अभी तक परिवार की ओर से स्वीकृति नहीं ।
“Only blood money could save Indian nurse…” — इंडिया सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया।
🔍 4. नीमिषा प्रिया का केस: संक्षिप्त समीक्षा
- मूल रूप से केरala की रहने वाली, नीमिषा ने 2008 में यमन में नर्सिंग की नौकरी शुरू की।
- 2015 में क्लिनिक खोला, लेकिन business partner तालाल अब्दो महदी से मनमुटाव हुआ; उसने नीमिषा का पासपोर्ट छीन लिया ।
- 2017 में नीमिषा ने उसे केटामाइन देकर बेहोश किया, जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई; शव को काटकर पानी की टंकी में फेंका गया। 2018 में दोषी ठहराया गया और 2020 में मौत की सज़ा सुनाई गई ।
⚖️ 5. अभी आगे क्या हो सकता है?
कदम | विवरण |
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परिवार की सहमति | अब अंतिम निर्णय पीड़ित परिवार के हाथ में—दिय्याह चुकाने पर ही माफ़ी संभव । |
राजनयिक दबाव जारी | भारत सरकार, धार्मिक नेता और राजनैतिक हस्तियां और समय मांग रही हैं । |
यमन के राजनीतिक माहौल | सना पर हूती कब्ज़ा, यमन में राजनीतिक अस्थिरता—अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को चुनौती दे रही है । |
⏳ 6. क्यों है इस देरी में अहमियत?
- एक दिन पहले कोई घोषणा न करने से जेल परिसर में सदस्यों की भीड़ जुटी थी—स्थिति बिगड़ने का जोखिम था ।
- इसे सार्वजनिक रूप से स्थगित न करके, उन्होंने बातचीत की राह खुली रखी।
- यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सशक्त और सुनियोजित कूटनीति का परिणाम माना जा रहा है।
🌍 7. इसका अंतरराष्ट्रीय महत्त्व
- इस मामले ने भारत‑हूती यमन संबंधों, और मानव अधिकार कूटनीति पर ध्यान केंद्रित कराया है।
- केस देखाता है कि विदेशों में भारतीय नागरिकों की रक्षा कितनी जटिल होती है—विशेषकर युद्धक्षेत्र में।
- नीमिषा की अन्तिम सुरक्षा अब पूर्णतः पीड़ित परिवार की सहमति पर निर्भर है।
- फिलहाल देश का दबाव, धन जुटाना और धार्मिक-सामाजिक नेटवर्क की कोशिशें जारी रहेंगी।
- यदि परिवार मना कर दे या शर्तें बढ़ाए, तो अंतरराष्ट्रीय स्थिति और दबाव अगले चरण की दिशा तय करेगी।
🇮🇳 निष्कर्षतः, नीमिषा प्रिया को मिली यह अस्थायी राहत, व्यापक सामाजिक, कूटनीतिक और धार्मिक प्रयासों की वजह से संभव हुई है। लेकिन असली मंज़िल अब परिवार की दया पर निर्भर है। हम सभी यही कामना करते हैं कि उसे पारिवारिक पुनर्मिलन और उचित न्याय मिलने की राह अब जल्दी ही खुले।