भारत के तेल बाजार में एक बड़ा भूचाल आने वाला है। रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट और रिलायंस के बीच भारत स्थित Nayara Energy में हिस्सेदारी को लेकर बातचीत चल रही है।
नयारा एनर्जी का संचालन एक विशाल तेल रिफाइनरी (20 मिलियन टन प्रति वर्ष) और 6,750 पेट्रोल पंपों के नेटवर्क से होता है। अगर यह डील होती है, तो यह रिलायंस को भारत का सबसे बड़ा ऑयल रिफाइनर बना सकती है।
🌍 रोसनेफ्ट क्यों बेचना चाहती है नयारा एनर्जी में हिस्सा?
पश्चिमी प्रतिबंध बने रोसनेफ्ट की मजबूरी
रूस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते, रोसनेफ्ट को भारत में अपने ऑपरेशनों से पूरी तरह से मुनाफा कमाने और उसे रूस ले जाने में मुश्किलें आ रही हैं।
2017 में रोसनेफ्ट ने एस्सार ऑयल को लगभग 12.9 अरब डॉलर में खरीदा था, जिसे बाद में नयारा एनर्जी के नाम से जाना गया।
अब 2024 में कंपनी भारत से बाहर निकलने की योजना बना रही है और इसके लिए वह अपनी 49.13% हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है।
💼 रिलायंस इंडस्ट्रीज को क्या मिलेगा इस अधिग्रहण से?
सबसे बड़ा रिफाइनर बनने का मौका
रिलायंस के पास पहले से ही जामनगर (गुजरात) में 68.2 मिलियन टन प्रति वर्ष की रिफाइनिंग क्षमता है। अगर 20 मिलियन टन की नयारा रिफाइनरी इसमें जुड़ जाती है, तो रिलायंस 80.8 मिलियन टन क्षमता वाले IOC (इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन) को पीछे छोड़ देगा।
पेट्रोल पंप नेटवर्क में बड़ी छलांग
भारत में कुल लगभग 97,000 पेट्रोल पंप हैं।
- वर्तमान में रिलायंस के पास केवल 1,972 आउटलेट्स हैं।
- नयारा के साथ मिलकर यह संख्या 8,722 तक जा सकती है।
यह रिलायंस को फ्यूल मार्केटिंग के क्षेत्र में बड़ी ताकत बना देगा।
🛢️ नयारा एनर्जी की हिस्सेदारी कौन-कौन बेच रहा है?
निवेशक | हिस्सेदारी (%) |
---|---|
Rosneft | 49.13% |
UCP Investment Group (रूसी फर्म) | 24.5% |
Trafigura Group (सिंगापुर) | 24.5% |
रिटेल शेयरधारक | बचा हुआ हिस्सा |
UCP और Rosneft दोनों एक साथ बाहर निकलने की योजना में हैं।
Trafigura भी यदि समान मूल्य पर डील होती है, तो बाहर निकल सकती है।
From Reuters | Reliance Industries has signed a one-year deal with Russia's Rosneft to buy at least 3 million barrels of oil a month in roubles pic.twitter.com/2PFG27FZMX
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18Live) May 28, 2024
🤝 कौन-कौन हैं संभावित खरीदार?
1. Reliance Industries Ltd.
- सबसे उपयुक्त खरीदार माना जा रहा है।
- जामनगर और वाडीनार की भौगोलिक निकटता के कारण, रिफाइनरी ऑपरेशनों में बड़ी सिंक्रोनाइजेशन संभव है।
2. Saudi Aramco
- दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी।
- भारत में डाउनस्ट्रीम उपस्थिति बनाना चाहती है।
- पहले रिलायंस की O2C यूनिट में 20% हिस्सेदारी के लिए 15 अरब डॉलर की डील पर चर्चा हुई थी, जो बाद में कैंसिल हो गई।
3. Adani Group
- ऑफर को अस्वीकार कर दिया।
- अपनी TotalEnergies के साथ डील के तहत केवल ग्रीन एनर्जी और नेचुरल गैस तक ही सीमित रहना चाहता है।
4. IOC और ONGC
- कीमत बहुत ज्यादा मान रहे हैं, इसलिए फिलहाल रुचि नहीं दिखा रहे।
💸 डील में रुकावट: वैल्यूएशन बना बड़ा मुद्दा
रोसनेफ्ट ने नयारा की कीमत USD 20 अरब डॉलर आंकी है, जिसे अधिकतर संभावित खरीदार महंगा मान रहे हैं।
पक्ष | अनुमानित वैल्यू (USD) |
---|---|
रिलायंस का अनुमान | ~10-11 अरब |
IOC/ONGC का अनुमान | ~5-6 अरब |
Rosneft की मांग (पहले) | 20 अरब |
Rosneft की नई मांग (2024) | 17 अरब |
रिलायंस के लिए पेट्रोल पंप का मूल्य ~₹7 करोड़ प्रति आउटलेट हो सकता है, जबकि IOC के लिए यह ~₹3-3.5 करोड़ ही है।
🛠️ डील क्यों मायने रखती है रिलायंस के लिए?
- मार्केटिंग नेटवर्क – बड़ा पेट्रोल पंप नेटवर्क फ्यूल ब्रांडिंग और सेल्स में क्रांति ला सकता है।
- रिफाइनिंग सिंक्रोनाइज़ेशन – जामनगर और वाडीनार की रिफाइनरी मिलकर सप्लाई चेन को अधिक इफेक्टिव बना सकती हैं।
- पेट्रोकेमिकल यूनिट – नयारा की योजना के अनुसार वहां जल्द ही पेट्रोकेमिकल विस्तार होगा, जिससे रिलायंस की O2C स्ट्रेंथ और मजबूत होगी।
🇷🇺 रूस के लिए क्यों ज़रूरी है यह डील?
- डॉलर में कमाई की चुनौती: अंतरराष्ट्रीय बैंकों और भुगतान प्रणालियों पर पश्चिमी प्रतिबंध।
- रूस की भू-राजनीतिक स्थिति: भारत जैसे बाजार से जुड़ाव बनाए रखना कठिन होता जा रहा है।
- न्यारा से बाहर निकलने का समय: 2024 में ही कंपनी ने संभावित खरीदारों से बातचीत शुरू कर दी थी।
📉 क्या यह डील संभव है?
फिलहाल डील प्रारंभिक चरण में है।
- बातचीत चल रही है, लेकिन कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
- रिलायंस ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि, “हम बाजार में मौजूद अवसरों का मूल्यांकन करते रहते हैं। अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।”
📊 भारत के तेल सेक्टर पर क्या होगा असर?
क्षेत्र | संभावित असर |
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तेल रिफाइनिंग | रिलायंस No.1 बन सकता है |
मार्केटिंग नेटवर्क | IOC को कड़ी टक्कर |
ग्लोबल निवेश | भारत ऊर्जा हब के रूप में उभरेगा |
सरकारी कंपनियां | प्रतिस्पर्धा में कमी |
📌 निष्कर्ष
रोसनेफ्ट रिलायंस नयारा एनर्जी डील अगर होती है, तो यह भारत के तेल क्षेत्र में सबसे बड़ा निजी अधिग्रहण हो सकता है।
यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट डील नहीं बल्कि भारत के ऊर्जा भविष्य को दिशा देने वाली घटना बन सकती है।
हालांकि, डील पर मूल्यांकन और भू-राजनीतिक स्थितियां निर्णायक होंगी। रिलायंस के पास संसाधन, इच्छाशक्ति और रणनीतिक सामर्थ्य है, लेकिन अंतिम निर्णय अभी प्रतीक्षित है।