भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम दौर में, डेयरी और कृषि उत्पादों पर विवाद अब भी बरकरार

Sanyam
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भारत-अमेरिका व्यापार

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौता अंतिम चरण में पहुंच चुका है। लेकिन कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर दोनों देशों के बीच गहरे मतभेद अब भी बने हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 9 जुलाई की डेडलाइन तय किए जाने के बाद से ही दोनों देशों के बीच बातचीत तेज़ हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार प्रतिनिधिमंडल पिछले हफ्ते से वॉशिंगटन में मौजूद है और संभवतः समझौता अंतिम रूप लेने तक वहीं रुका रहेगा। हालांकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) अनाज और अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर कोई समझौता नहीं करेगा क्योंकि इससे देश के किसानों की आजीविका पर असर पड़ सकता है।

क्या है विवाद का केंद्र?

  1. कृषि उत्पाद: अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाज़ार को GM सोयाबीन, मक्का, गेहूं और चावल के लिए खोले। भारत की आपत्ति का कारण है — ये उत्पाद भारतीय कृषि प्रणाली और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
  2. डेयरी सेक्टर: अमेरिका चाहता है कि भारत डेयरी बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोले, लेकिन भारत का रुख स्पष्ट है — छोटे किसानों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।
  3. टैरिफ विवाद: ट्रंप प्रशासन ने पहले भारतीय उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, जिसे 90 दिनों के लिए 10% कर दिया गया था। अगर समझौता नहीं हुआ, तो यह टैरिफ फिर से लागू हो सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार में भारत की मांग क्या है?

भारत, बदले में, चाहता है कि अमेरिका फुटवियर, रेडीमेड गारमेंट्स और लेदर उत्पादों पर टैरिफ में ढील दे। ये उद्योग भारत में लाखों लोगों को रोजगार देते हैं और निर्यात में बड़ी भूमिका निभाते हैं। भारत की गणना है कि यदि यह समझौता हो जाता है, तो अगले 3 वर्षों में भारत का अमेरिका को निर्यात दोगुना हो सकता है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के सीईओ अजय साहाई का कहना है, “अगर अंतरिम समझौता हो जाता है, तो भारतीय निर्यात में तेज़ी आएगी, विशेषकर श्रम आधारित क्षेत्रों में।”

इस व्यापार समझौते को केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जा रहा, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। अमेरिका और भारत दोनों के लिए यह अवसर है कि वे चीन जैसे देशों की आर्थिक निर्भरता को कम कर एक मज़बूत सहयोग स्थापित करें।

एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, “यह समझौता सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने का माध्यम है।”


ट्रंप का बयान और वियतनाम से तुलना

राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में वियतनाम के साथ एक समझौते की घोषणा की, जिसमें अमेरिकी टैरिफ को 46% से घटाकर 20% किया गया। ट्रंप का दावा है कि अमेरिकी उत्पाद वियतनाम में ड्यूटी फ्री प्रवेश करेंगे।

उन्होंने भारत को लेकर भी सकारात्मक बयान दिया:

“मुझे लगता है कि भारत के साथ एक नया और कम टैरिफ वाला समझौता जल्द होगा। भारत को अमेरिका को अपने बाजार में जगह देनी होगी।”


अगर 9 जुलाई तक कोई समझौता नहीं होता, तो भारत के उत्पादों पर 26% का पुराना टैरिफ फिर से लागू हो जाएगा, जो पहले ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किया गया था।

हालांकि भारतीय अधिकारियों का मानना है कि यह टैरिफ “हमारे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अब भी कम है” और भारत इससे भारी नुकसान नहीं उठाएगा। लेकिन समझौते की असफलता से बायलेटरल ट्रेड डबल करने के लक्ष्य पर असर पड़ सकता है।

taken from ndtv tweet-


किसानों का सवाल और राजनीतिक दबाव

भारत में कृषि एक संवेदनशील और राजनीतिक रूप से अहम विषय है। छोटे किसानों की संख्या अधिक है और वे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ऐसे में सरकार के लिए किसी भी विदेशी दबाव के आगे झुकना मुश्किल है।

भारत अब तक किसी भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) में अपने डेयरी सेक्टर को नहीं खोला है। इसलिए यह पहली बार होगा अगर इस दिशा में कोई बदलाव आता है — और फिलहाल मोदी सरकार इसके लिए तैयार नहीं दिख रही।


भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता एक निर्णायक मोड़ पर है। जहां एक ओर अमेरिका को अपने कृषि उत्पादों और डेयरी के लिए बाजार चाहिए, वहीं भारत अपने रोजगार आधारित निर्यातों के लिए रियायतें चाहता है।

अगर दोनों पक्ष 9 जुलाई से पहले किसी समझौते पर पहुंचते हैं, तो यह आर्थिक और रणनीतिक दोनों दृष्टियों से एक बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन अगर विवादित मुद्दों पर सहमति नहीं बनती, तो यह समझौता एक बार फिर टल सकता है — और साथ ही 26% टैरिफ का खतरा भी वापस लौट सकता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):

प्रश्न 1: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में सबसे बड़ा विवाद क्या है?
उत्तर: सबसे बड़ा विवाद कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलें और अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए बाजार खोले, लेकिन भारत इन मांगों का विरोध कर रहा है ताकि अपने किसानों की आजीविका की रक्षा कर सके।


प्रश्न 2: अमेरिका भारत से क्या मांग रहा है?
उत्तर: अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) अनाज, जैसे मक्का, चावल, गेहूं, और सोयाबीन के लिए खोले, साथ ही डेयरी उत्पादों के लिए विदेशी कंपनियों को अनुमति दे।


प्रश्न 3: भारत अमेरिका से क्या रियायतें चाहता है?
उत्तर: भारत चाहता है कि अमेरिका फुटवियर, रेडीमेड गारमेंट्स और लेदर प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम करे। इन क्षेत्रों में लाखों भारतीयों को रोजगार मिलता है और ये निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


प्रश्न 4: क्या 9 जुलाई की डेडलाइन महत्वपूर्ण है?
उत्तर: हां, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 जुलाई की डेडलाइन दी थी। अगर इस तारीख तक समझौता नहीं होता, तो 26% टैरिफ फिर से लागू हो सकता है, जो भारतीय निर्यातकों को प्रभावित कर सकता है।


प्रश्न 5: क्या भारत GM फसलों को स्वीकार करेगा?
उत्तर: भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह GM अनाज या डेयरी उत्पादों पर कोई समझौता नहीं करेगा, क्योंकि इससे देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय पर असर पड़ सकता है।


प्रश्न 6: इस समझौते का रणनीतिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह समझौता केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह भारत और अमेरिका के बीच चीन जैसी शक्तियों के मुकाबले सहयोग को मजबूत करने का माध्यम बन सकता है।

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