बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल आया है, जब नगर निकाय चुनावों में पहली बार बिहार में ई-वोटिंग की सुविधा शुरू की गई है। यह पहल खास तौर पर उन मतदाताओं के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो रही है जो किसी कारणवश मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकते। इस सुविधा के जरिए अब लोग मोबाइल फोन के ज़रिए, घर बैठे ही लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पा रहे हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार को पटना, रोहतास और पूर्वी चंपारण जिले के 6 नगर परिषदों में चल रहे निकाय चुनावों में इस सुविधा का शुभारंभ किया। मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और पारंपरिक ईवीएम मशीनों के साथ-साथ मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से भी मतदान किया गया। कुल 489 बूथों पर वोटिंग हो रही है, जिनके माध्यम से 538 प्रत्याशियों का भाग्य तय होना है।
📲 बिहार में ई-वोटिंग कैसे काम करती है यह सुविधा?
बिहार राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने शुक्रवार को मीडिया को जानकारी दी थी कि यह पहली बार है जब बिहार के नगर निकाय चुनावों में मतदाता मोबाइल ऐप के जरिए वोट डाल पाएंगे। इस सुविधा का नाम E-SECBHR ऐप रखा गया है, जिसे सी-डैक (Centre for Development of Advanced Computing) ने विकसित किया है।
ई-वोटिंग का इस्तेमाल करने के लिए मतदाताओं को निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होती है:
- E-SECBHR ऐप इंस्टॉल करें (फिलहाल केवल एंड्रॉयड पर उपलब्ध)।
- मोबाइल नंबर को उस वोटर लिस्ट में लिंक करें जिसमें आपका नाम है।
- वोटर आईडी नंबर डालकर लॉगिन करें और पहचान सत्यापित करें।
- सफल सत्यापन के बाद वोटिंग स्क्रीन एक्टिवेट होती है जहां मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी को चुन सकते हैं।
🧓🏻 किन लोगों को मिल रही है प्राथमिकता?
इस मोबाइल वोटिंग सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सीनियर सिटीजन्स, दिव्यांगजनों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी है। जो मतदाता स्वास्थ्य कारणों या अन्य मजबूरियों से मतदान केंद्र नहीं जा सकते, वे इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि, कोई भी मतदाता इस सुविधा का लाभ उठा सकता है यदि वह निर्धारित शर्तों को पूरा करता है — जैसे कि मोबाइल नंबर का वोटर लिस्ट से लिंक होना, सही पहचान पत्र और तकनीकी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करना।
🔒 बिहार में ई-वोटिंग Ki सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग
ई-वोटिंग को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या यह तरीका सुरक्षित है? क्या इसमें गड़बड़ी संभव है?
इस सवाल का जवाब देते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त ने भरोसा दिलाया कि वोटिंग प्रणाली को अत्यंत सुरक्षित बनाया गया है। ई-वोटिंग सिस्टम में निम्नलिखित सुरक्षा फीचर्स शामिल हैं:
- ब्लॉकचेन तकनीक – जिससे किसी भी तरह की वोटिंग में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
- फेस रिकग्निशन वेरिफिकेशन – हर मतदाता का चेहरा स्कैन कर पहचान सुनिश्चित की जाती है।
- वोटर आईडी वेरिफिकेशन – हर लॉगिन के समय मतदाता की वोटर आईडी से दोबारा सत्यापन होता है।
- मोबाइल नंबर लिमिट – एक मोबाइल नंबर से अधिकतम दो मतदाता ही लॉगिन कर सकते हैं, ताकि डुप्लिकेट या फर्जी वोटिंग न हो।
इसके अलावा, जिन मतदाताओं के पास स्मार्टफोन नहीं है, वे बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के माध्यम से भी वोट डाल सकते हैं।
📈 कितना उत्साह दिखा लोगों में?
जैसे-जैसे खबर फैली कि ई-वोटिंग से घर बैठे भी वोट डाला जा सकता है, लोगों में खासा उत्साह देखा गया। चुनाव आयोग के अनुसार, 28 जून की सुबह तक करीब 10,000 मतदाताओं ने मोबाइल के ज़रिए रजिस्ट्रेशन करा लिया था, और उम्मीद है कि लगभग 50,000 से अधिक मतदाता वेबसाइट के माध्यम से भी वोट करेंगे।
वोटर्स का कहना है कि यह सुविधा न केवल समय की बचत करती है, बल्कि भीड़-भाड़, गर्मी, लंबी कतारों और अन्य परेशानियों से भी छुटकारा दिलाती है।
🗳️ क्या यह बिहार में ई-वोटिंग की शुरुआत से विधानसभा चुनावों में भी मिलेगा यह विकल्प?
हालांकि यह सुविधा अभी केवल नगर पालिका चुनावों के लिए उपलब्ध है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तकनीक आगामी विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर 2025) में भी लागू की जाएगी?
इस पर दीपक प्रसाद ने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है और इसके नतीजे और तकनीकी सफलता के आधार पर ही आगे फैसला लिया जाएगा।
अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो यह न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है, जहां डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और बड़ी छलांग मानी जाएगी।
📊 विपक्ष की प्रतिक्रिया और आशंकाएं
हालांकि सरकार और निर्वाचन आयोग ने इस पहल की प्रशंसा की है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसमें पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं। कुछ राजनीतिक दलों ने यह भी पूछा है कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी जानकारी की कमी के चलते यह प्रणाली वहां प्रभावी साबित हो पाएगी?
राज्य निर्वाचन आयोग ने आश्वासन दिया है कि ऐसी किसी भी चिंता को दूर करने के लिए हेल्पलाइन, डेमो वीडियो और स्थानीय स्तर पर ट्रेनिंग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
🌐 डिजिटल क्रांति की ओर बिहार
बिहार एक लंबे समय से तकनीकी बदलाव की बाट जोह रहा था। डिजिटल शिक्षा, ई-गवर्नेंस और अब ई-वोटिंग के जरिए राज्य ने तकनीकी समावेशन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
यह नई प्रणाली न केवल लोकतंत्र में भागीदारी को बढ़ावा देगी बल्कि युवाओं को भी वोटिंग के लिए प्रेरित करेगी।
बिहार का यह कदम देश के अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है।
निष्कर्ष:
बिहार में नगर पालिका चुनावों के दौरान शुरू की गई मोबाइल ई-वोटिंग व्यवस्था भारत में चुनावी प्रणाली की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यदि यह प्रयास सफल रहता है, तो भविष्य में इसे विधानसभा व लोकसभा चुनावों में भी लागू किया जा सकता है। इससे लोकतंत्र और अधिक सशक्त होगा, और हर नागरिक को उसके अधिकार का सहजता से प्रयोग करने का अवसर मिलेगा।
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