“जब फडणवीस ने किया वह काम जो Balasaheb भी नहीं कर पाए” — ठाकरे बंधु एक मंच पर, ‘मराठी मान’ की आवाज बुलंद

Sanyam
7 Min Read
जब फडणवीस ने किया वह काम जो Balasaheb भी नहीं कर पाए

5 जुलाई 2025 को मुंबई के NSCI डोम, वरळी में आयोजित ‘Awaj Marathicha – मराठीमानाचा आवाज’ रैली ने महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा बदल दी। शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और MNS प्रमुख राज ठाकरे, जो लगभग दो दशकों से अलग चले आ रहे हैं, एक मंच पर दिखे। इस रैली में भाजपा‑नेते फडणवीस द्वारा लाए गए तीन‑भाषा सूत्र का विरोध मुख्य था — जिसे विपक्ष ने हिंदी थोपने का प्रयास कहकर खारिज किया था

रैली का मुख्य एजेंडा: ‘हिंदी थोपना’ नहीं चलेगा

  • राज ठाकरे ने तंज कसा कि यह ‘शैक्षणिक सुधार’ नहीं, बल्कि “राजनीतिक हथियार” था ।
  • उन्होंने चेताया: “अगर आप मराठी को कमजोर कर सकते हैं, तो अगला कदम मुंबई अलग करने का होगा” ।
  • उद्धव ठाकरे ने कहा, “भाषा के मुद्दे पर राज, मैं और यहां सब एक हैं”।

⚙️ रैली का स्वरूप

रैली को ‘विजय समारोह’ के रूप में पेश किया गया था किन्तु वक्ताओं ने इसे ‘मराठी स्वाभिमान’ की आवाज बुलंद करने वाला आयोजन बताया ।


🤝 ठाकरे कज़िन्स की पुनर्मिलन

  • राज ठाकरे: “फ़डणवीस ने वह कर दिखाया जो बाळ ठाकरे और कई अन्य नहीं कर सके”।
  • उद्धव ठाकरे: “हम साथ आने के लिए आए हैं, और एक साथ रहेंगे” — आगामी BMC चुनाव को इशारा देते हुए।
  • मंच पर एक दूसरे का गले लगाना और हाथ उठाकर चिल्लाना 20 वर्षों से चली आ रही दूरियों का प्रतीक था ।

🗣️ फडणवीस का तीखा पलटवार

  • फडणवीस ने व्यंग्य करते हुए कहा: “बाळासाहेब अब मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे… मुझे श्रेय देने के लिए राज ठाकरे का शुक्रिया”।
  • उन्होंने उद्धव पर भिड़ते हुए कहा कि उनकी बोलचाल राजनीतिक दु:ख की बजाय ‘रुदाली’ जैसा था।
  • उन्होंने शिवसेना की बीएमसी में 25 वर्ष की राह पर आरोप लगाया कि कोई ठोस काम नहीं हुआ, जबकि भाजपा के साथ मिलकर मुंबई और मराठी जनता के हित में उन्होंने कार्य किया ।

📅 प्रक्रिया और शाखाएँ

1. फैसला पलटा गया:

  • 16 अप्रैल को जारी तीन‑भाषा फॉर्मूले में कक्षा‑1 में हिंदी को अनिवार्य करने वाली GR के खिलाफ विरोध तेज हो गया।
  • AJit Pawar ने राज्य शिक्षा नीति के अनुसार माता‑भाषा मराठी को प्राथमिकता देने की कसम खाई और हिंदी तीसरी विकल्पीय भाषा बनायी जाए सुझाव दिया।
  • भाजपा सरकार को भारी विरोध और रैली के दबाव में पीछे हटना पड़ा, Hindi GR रद्द कर शिक्षा नीति को पुनर्संयोजित करना पड़ा।

🧭 राजनीतिक अर्थ और भविष्य

  • राज-उद्धव की ऐतिहासिक एकजुटता ने मराठी‑पहचान को राजनीतिज्ञ हथियार के बजाय सांस्कृतिक किले के रूप में पेश किया ।
  • BMC और आगामी स्थानीय चुनावों में यह शक्ति प्रदर्शन कई संभावित समीकरण बना सकता है।
  • भाजपा का पलटवार बताता है कि यह रैली धार्मिकता व पहचान की राजनीति से आगे निकलकर विकास और उपलब्धियों पर केंद्रित रहेगा ।

  • यह रैली केवल भाषाई विरोध नहीं, बल्कि मराठी स्वाभिमान का पुनर्जागरण और राजनीतिक पुनर्संयोजन भी है।
  • ठाकरे परिवार की ऐतिहासिक दरार पर मरहम लगाने का अवसर उपलब्ध हुआ; भविष्य की राजनीति में इसका गहरा प्रभाव दिखेगा।
  • भाजपा और केंद्र सरकार को यह स्पष्ट संकेत गया कि मराठी जनता सिर्फ विकास ही नहीं, अपनी सांस्कृतिक-भाषाई पहचान पर भी सचेत है

❓ Frequently Asked Questions (FAQs)

1. क्या ‘Awaj Marathicha’ रैली का मकसद क्या था?

इस रैली का प्रमुख उद्देश्य था महाराष्ट्र सरकार द्वारा लागू की गई तीन‑भाषा नीति, जिसमें कक्षा 1 से हिंदी को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव शामिल था, उसका विरोध करना। ठाकरे बंधुओं ने इसे ‘हिंदी थोपना’ बताते हुए मराठी पहचान की रक्षा की मांग की।

2. राज और उद्धव ठाकरे इतने वर्षों बाद क्यों एक मंच पर आए?

राज और उद्धव ठाकरे करीब 20 वर्षों के बाद पहली बार एक संयुक्त मंच पर उतरे। इसका कारण सीधे जुड़ा हुआ है हिंदी-थोपने के विरोध से — यही वह मुद्दा था जिसने उन्हें फिर से एकजुट कर दिया।

3. फडणवीस पर ठाकरे की तीखी प्रतिक्रिया क्यों थी?

  • राज ठाकरे ने कहा: “फ़डणवीस ने वह कर दिखाया जो बाळ ठाकरे भी नहीं कर सके”।
  • उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी एकजुटता से सरकार को अपनी GR वापस लेना पड़ा, और बदले में उन्हें सीट बाँटकर बीएमसी चुनाव की तैयारी करनी है।

4. फडणवीस ने क्या प्रतिक्रिया दी?

मुख्यमंत्री फडणवीस ने भी पलटवार किया, कहा:

“बाळासाहेब अब मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे… मुझे श्रेय देने के लिए राज ठाकरे का धन्यवाद।”
उन्होंने उद्धव ठाकरे का भाषण ‘रुदाली’ (शोकगीत) बताया और कहा कि भाजपा ने मुंबई व मराठी भूमि का विकास किया है।

5. क्या यह केवल भाषाई मुद्दा था?

नहीं। रैली में मराठी-भूमि की संस्कृति, राजनीतिक पहचान, मराठी शब्दों की संप्रभुता, और संभावित लोकल चुनावी गठबंधन जैसे व्यापक मुद्दे उठाए गए — जैसे उद्धव-राज ने बीएमसी एवं स्थानीय निकायों को अगले चुनाव में लक्षित करने का संकेत दिया ।

6. सरकार ने किन कदमों के बाद GR वापस की?

सरकार ने हिंदी को कक्षा 1 से अनिवार्य करने वाली GR को बड़ी विरोध-प्रदर्शनों (ठाकरे बंधुओं का विरोध-रैली, विदड्रो, मीडिया कवरेज) के बाद वापस ले लिया। इसके बाद एक समिति की स्थापना हुई तीन-भाषा नीति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए।

7. इस रैली का राजनीतिक भविष्य पर क्या असर हो सकता है?

रैली ने संकेत दिया कि मराठी स्वाभिमान राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। राज-उद्धव की एकजुटता भाजपा के लिए चुनौती हो सकती है, खासकर बीएमसी चुनाओं में। विपक्ष ने भी रैली को चुनावी अजेन्डा की शुरुआत बताया ।

8. क्या कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी?

कांग्रेस ने ठाकरे बंधुओं पर आरोप लगाया कि वे मात्र इसी घटना में अपना क्रेडिट ले रहे हैं, जबकि व्यापक विरोध हुआ था — जिसे समाज के कई तबकों ने मिल कर विरोध किया ।

Share This Article
By Sanyam
Follow:
Sanyam is a skilled content editor focused on government schemes, state-wise news, and trending topics. With strong research and writing skills, she ensures our articles are accurate, clear, and engaging for readers across various categories.
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *