दिल्ली में मिलन: चंद्रबाबु Naidu और रेवन्थ रेड्डी की बैठक — 81,900 ₹ करोड़ के ‘पोलावरम–बनकाचेरला’ विवाद का समाधान

Sanyam
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चंद्रबाबु Naidu और रेवन्थ रेड्डी की बैठक

“आज दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री CR पटिल की अध्यक्षता में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबु Naidu व तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवन्थ रेड्डी ने आयोजित बैठक में कृष्णा और गोदावरी जल-साझा विवादों पर चर्चा की। मुख्य एजेंडा था ₹81,900 करोड़ की पोलावरम–बनकाचेरला जल लिंक परियोजना पर विवाद, जल-साझा ट्रांसपरेंसी, तकनीकी निगरानी और प्रबंधन बोर्डों का स्थान निर्धारण। जानिये बैठक के प्रमुख निर्णय, राज्यों की चिंताएं, और आगे की राह क्या होगी।”

Contents
1. बैठक का पृष्ठभूमि2. मुख्य विवाद: पोलावरम–बनकाचेरला लिंक प्रोजेक्ट3. बैठक के निर्णय: आशाजनक मंथन✅ टेलीमेट्री सिस्टम पर सहमति✅ मुख्य जल बोर्डों का भौगोलिक विभाजन✅ Srisailam परियोजना की मरम्मत-अनुरोध✅ तकनीकी समिति गठित होगी4. क्यों छोड़ा गया “पोलावरम–बनकाचेरला” विषय?5. दोनों राज्यों की प्रतिक्रिया6. अगली राह: केंद्र-नियम-न्यायिक पहल7. निष्कर्ष व भविष्य के पहल❓ FAQ 1: यह परियोजना क्या है?❓ FAQ 2: क्यों तेलंगाना इसका विरोध करता है?❓ FAQ 3: क्या यह परियोजना पर्यावरणीय मंजूरी मिली?❓ FAQ 4: आंध्र क्या कहता है?❓ FAQ 5: आज दिल्ली में बैठक क्यों आयोजित हुई?❓ FAQ 6: बैठक में क्या ठोस निर्णय हुए?❓ FAQ 7: अब क्या होगा?❓ FAQ 8: केंद्र की क्या भूमिका है?✅ सारांश सार:

1. बैठक का पृष्ठभूमि

  • क्यों मिली आज पीएम Naidu–रेवन्थ की जोड़ी दिल्ली में?
    आंध्र प्रदेश का ₹81,900 करोड़ का पोलावरम–बनकाचेरला (Godavari–Banakacherla) लिंक प्रोजेक्ट काफी विवादित रहा है। तेलंगाना राज्य इसे Krishna और Godavari नदियों का जल “बेजा अपहरण” मान रहा है। इस मामले में केंद्र सरकार ने दोनों मुख्यमंत्री को बैठक के लिए बुलाया था।
  • बैठक कौन-कौन शामिल हुए?
    आंध्र से शामिल — मुख्यमंत्री चंद्रबाबु Naidu, जल संसाधन मंत्री निर्मला रामानायुडु और मुख्य सचिव K. विजयनंद। तेलंगाना के साथ — मुख्यमंत्री रेवन्थ रेड्डी और सिंचाई मंत्री N. उत्तम कुमार रेड्डी । केंद्रीय जल शक्ति मंत्री CR पटिल ने अध्यक्षता की ।

2. मुख्य विवाद: पोलावरम–बनकाचेरला लिंक प्रोजेक्ट

  • क्या है यह परियोजना?
    आंध्र प्रदेश की यह परियोजना Godavari नदी से पानी लेकर बनकाचेरला के माध्यम से Krishna बेसिन में ले जाने की योजना है, जिससे सालाना लगभग 200 TMC पानी पेन्ना बेसिन के ज़रूरतमंद इलाकों में पहुँच सके।
  • टेलंगाना का विरोध क्यों?
    तेलंगाना का यही मानना है कि यह योजना Godavari और Krishna के जल साझे वितरण नियमों का उल्लंघन करती है, Central Water Commission (CWC), Godavari River Management Board (GRMB) और Apex Council की सापेक्ष स्वीकृति के बिना ही इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। उनका तर्क है कि यह Andhra Pradesh Reorganisation Act, 2014 और Godavari Water Disputes Tribunal (GWDT) 1980 के निर्णयों के खिलाफ है।

3. बैठक के निर्णय: आशाजनक मंथन

✅ टेलीमेट्री सिस्टम पर सहमति

आंध्र प्रदेश ने टेलंग्रीमी की स्थापना करने की सहमति दी, जिससे साझा परियोजनाओं में जल वितरण और उपयोग का ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित होगी।

✅ मुख्य जल बोर्डों का भौगोलिक विभाजन

  • Godavari River Management Board का मुख्यालय तेलंगाना (Hyderabad) में होगा।
  • Krishna River Management Board का मुख्यालय आंध्र प्रदेश में स्थापित होगा।

यह निर्णय प्रशासनिक संतुलन स्थापित करने में सहायक होगा।

✅ Srisailam परियोजना की मरम्मत-अनुरोध

दोनों राज्यों ने Srisailam परियोजना की मरम्मत की स्वीकृति दी, जो दोनों राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है।

✅ तकनीकी समिति गठित होगी

एक टेक्निकल समिति जल्द गठित होगी, जिसमें अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी Krishna और Godavari परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों को तकनीकी दृष्टिकोण से हल करना होगा ।


4. क्यों छोड़ा गया “पोलावरम–बनकाचेरला” विषय?

  • तेलंगाना की तीव्र आपत्ति और केंद्र की एहतियातपूर्ण रणनीति के चलते आज की बैठकों से इस मुख्य विवादित मुद्दे को दरकिनार रखा गया।
  • इससे राजनीतिक टकराव से बचने का प्रयास था और भरोसा बनाए रखने के लिए पारदर्शिता-आधारित हल प्राथमिकता दी गई ।

5. दोनों राज्यों की प्रतिक्रिया

  • तेलंगाना (रेवन्थ रेड्डी)
    • जल वितरण में पारदर्शिता को न्यायपूर्ण कदम माना।
    • मंत्रालयों के स्थायी बोर्डों के स्थान पर संतुष्टि।
    • तकनीकी समिति भविष्य में तकनीकी गहरे अध्ययन के लिए बेहतर निर्णय टोन देगी।
    • मुख्यमन्त्री ने पहले भी 70% Krishna जल का अनुरोध किया था, जिसे अब Tribunal‑II में साबित करने की दिशा में एक कदम माना जा सकता है।
  • आंध्र प्रदेश (चंद्रबाबु Naidu)
    • टेलीमेट्री से न केवल जल साझेदारी में पारदर्शिता आएगी बल्कि न्यूनीकरण और क्रियान्वयन दोनों ही तेजी से निर्णय आसान होंगे।
    • Srisailam मरम्मत से कृषि और बिजली उत्पादन को तत्काल फायदा होगा।
    • तकनीकी समिति भविष्य में Polevaram–Banakacherla के विवाद में न्यूनीकरण कर सकती है।

6. अगली राह: केंद्र-नियम-न्यायिक पहल

  1. तकनीकी समिति गठन: जल्दी ही यह गठित होगी और अगले हफ्ते तक अपनी रिपोर्ट दे सकती है।
    1. Krishna Water Disputes Tribunal‑II का निर्णय: Telangana ने पहले ही 70% वाटर शेयर का अनुरोध किया है; Tribunal‑II सुलझा सकता
    है।
    1. पोलावरम–बनकाचेरला मुद्दे पर संशोधित DPR और स्वीकृतियाँ: Andhra Pradesh को आवश्यक केंद्रीय एवं तकनीकी मंजूरी लेनी होगी—जिस पर Telangana पहले भी असहमति जताता रहा है

    1. श्रुति‑निर्धारण: टेलीमेट्री की स्थापना से लॉग रिकॉर्ड, वैज्ञानिक डेटा सबूत उपलब्ध होंगे।

7. निष्कर्ष व भविष्य के पहल

  • आज की बैठक ने विश्वस्तता, पारदर्शिता और व्यवहारिक सम्पर्क को प्राथमिकता दी—किसी विवादित योजना को स्थगित नहीं बल्कि भरोसे-आधारित तटस्थ तकनीकी तत्वों की शुरुआत की।
  • यह केंद्र सरकार की मध्यवर्ती और निर्णायक भूमिका को भी दर्शाता है—विशेषकर Jal Shakti भुवन की संलिप्तता इस बात से स्पष्ट हुई ।
  • अब मुख्य सवाल यह है—क्या पोलावरम–बनकाचेरला प्रोजेक्ट तकनीकी संशोधनों से मान्य हो पाएगा, या फिर नयायिक समीक्षा और Tribunal‑II में Telangana का 70% शेयर प्रस्ताव ही अंतिम रूप देगा?

आज की दिल्ली बैठक ने राजनीतिक तकराव से बचते हुए तकनीकी, पारदर्शी और ठोस पहल की शुरुआत की है। टेलीमेट्री की स्थापना, बोर्डों का स्थान निर्धारण, मरम्मत परियोजनाओं में सहमति और तकनीकी समिति की घोषणा एक सकारात्मक शुरुआत है। हालांकि, पोलावरम–बनकाचेरला प्रोजेक्ट का भविष्य अभी भी अनिश्चित है—यह मुख्य रूप से राज्यों की सहमति, न्यायिक निर्णय और केंद्र की भूमिका पर निर्भर करेगा।

दोनों CM से उम्मीद पैदा हुई है कि यह सिर्फ एक दिखावटी मुलाकात नहीं, बल्कि दीर्घकालीन समाधान की दिशा में ठोस पहल है। जल-साझा विवाद की राजनीतिक जटिलता के बावजूद, तकनीकी और नियामक प्रक्रिया में सहयोग से किसान और आम जनता को लाभ मिल सकता है।

❓ FAQ 1: यह परियोजना क्या है?

उत्तर: यह योजना आंध्रप्रदेश द्वारा प्रस्तावित पुल परियोजना है, जिसके अंतर्गत Godavari नदी के अतिरिक्त बाढ़ के पानी को Polavaram डैम से Banakacherla तक 200 TMC-ft तक स्थानांतरित करना है। इसका उद्देश्य Rayalaseema क्षेत्रों में 7.41 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित करना, 80 लाख लोगों के लिए पेयजल की व्यवस्था करना और 400 MW तक बिजली उत्पादन करना है।


❓ FAQ 2: क्यों तेलंगाना इसका विरोध करता है?

उत्तर: तेलंगाना के अनुसार यह योजना

  1. Godavari Water Disputes Tribunal (GWDT) Award 1980 का उल्लंघन करती है,
  2. बिना केंद्र, CWC/GRMB/KRMB और हिम सहयोगी राज्यों की स्वीकृति प्रस्तावित है,
  3. Telangana, Odisha और Chhattisgarh में संभावित जल-ग्रहण (submergence) मामले सुलझे नहीं हैं।

❓ FAQ 3: क्या यह परियोजना पर्यावरणीय मंजूरी मिली?

उत्तर: नहीं, Expert Appraisal Committee (EAC) ने इसे पर्यावरणीय चिंताओं, कानूनी अन्यायों और इंटर-स्टेट विमर्श की कमी को लेकर वापस लौटा दिया है। इसके बाद CWC ने AP से 30 वर्षों के Flood Data समेत अतिरिक्त जानकारी मांगी है ।


❓ FAQ 4: आंध्र क्या कहता है?

उत्तर: आंध्र का तर्क है कि यह केवल surplus floodwater का उपयोग करेगा—जो Godavari से बेकार समुद्र में चला जाता है—और upstream राज्यों जैसी Telangana को कोई नुकसान नहीं होगा ।


❓ FAQ 5: आज दिल्ली में बैठक क्यों आयोजित हुई?

उत्तर: यह बैठक केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की पहल पर आयी थी, जिसमें चेन्नड्रबाबु Naidu और Revanth Reddy को बुलाया गया ताकि राज्य-स्तरीय जल विवाद पर चर्चा हो सके। मुख्य एजेंडा में नदी-लिंक परियोजना विवाद, टेलीमेट्री प्रणाली, बोर्डों का स्थान, और तकनीकी समिति की स्थापना शामिल थे ।


❓ FAQ 6: बैठक में क्या ठोस निर्णय हुए?

उत्तर: बैठक में आंशिक सहमति बनी:

  • टैलीमेट्री आधारित पारदर्शिता लाने पर सहमति,
  • GRMB और KRMB बोर्डों का राज्यों में मुख्यालय बाँटने का प्रस्ताव,
  • Srisailam परियोजना की मरम्मत सहमति,
  • और एक तकनीकी समिति का गठन—परन्तु Polavaram–Banakacherla योजना पर किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुँचा।

❓ FAQ 7: अब क्या होगा?

उत्तर:

  1. तकनीकी समिति जल्दी रिपोर्ट देगी।
  2. CWC बाढ़ डेटा एवं WAPCOS रिपोर्ट पर विचार करेगा।
  3. Telangana अपील करके Tribunal-II या सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
  4. EAC से environmental ToR प्राप्त होने तक AP DPR जमा नहीं कर सकता।

❓ FAQ 8: केंद्र की क्या भूमिका है?

उत्तर: केंद्र सरकार ने बैठक बुलायी, एजेंडों में मध्यस्थता की, और CWC, EAC से clearances‌—जैसे प्रभावी पर्यावरणीय और कानूनी अध्ययन—को अनिवार्य माना। यह राजनीति से ऊपर उठकर पारदर्शी तकनीकी प्रक्रिया अपनाने की कोशिश है।


✅ सारांश सार:

वजहस्थिति
परियोजना200 TMC flood water diversion, ₹81,900 करोड़
विरोधTelangana—कानूनी न्याय, environmental clearance
सहमतिरिपोर्टिंग, तकनीकी समिति, टैलीमेट्री, बोर्ड स्थान
अगला कदमडेटा संग्रह, apex council, सुप्रीम कोर्ट या Tribunal-II समीक्षा

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